Sahaj Foundation
  • Home
  • Rural Immersion
    • प्रश्न विकास का- A Dialogue on Rural Development! >
      • PVK Dialogue सफ़र
    • आओ गांव को जाने!
    • Local Community Projects
  • Retreats
    • Cultivating Emotional Balance >
      • Feedback Form for CEB
    • Weekend Morning Intensive
    • Head2Heart Retreat >
      • Previous H2H Retreats
    • Peaceful Living Retreat >
      • Previous PL Retreats
      • 'Dealing with Negative Emotions' Retreat >
        • Previous DNE Retreats
    • One-on-one Conversations
  • Org Transformation
  • SahajGifts
  • Team
Click here for Information in English
Applications Closed
Picture

उद्देश्य

प्रारंभिक स्तर के सामाजिक कार्यकर्ताओं का वित्तीय रूप से समर्थन करना, ऐसे कार्यकर्ता जो भारतीय समाज के आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित वर्ग (जो देश के ग्रामीण या आदिवासी क्षेत्रों में कहीं भी रह रहे हैं) के लाभ के लिए काम कर रहे हैं।

संकल्पना

भारतीय समाज बहुत ही पेचीदा दौर से गुजर रहा है। जहां एक ओर, उद्योगों और पलायन के बढ़ने के साथ अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ, कई लोग, अधिकतर युवा वर्ग, समाज के वंचित वर्गोंं की सेवा करनेेे के लिए अब Corporations के साथ अपने नियमित कैरियर को छोड़ने का विकल्प चुन रहे हैं। फिर चाहे दलित समुदाय हो, छोटे पैमाने के वंचित किसान हो, दैनिक वेतन प्राप्त करने वालेे हो, झुग्गियों में रहने वाले लोग हो, आदिवासी हो या LGBT समुदाय हो; इन समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई लोग, मुख्य रूप से मध्यम वर्गीय पृष्ठभूमि के लोग, सामाजिक कार्यकर्ताओं के रूप में आगे आ रहे हैं और सुनिश्चित कर रहेेे हैं कि वे गरिमा के साथ रहें। 

हालांकि, उनके साहसी प्रयासों के बावजूद, इन सामाजिक कार्यकर्ताओं की यात्रा चुनौतियों से भरी हुई है। अपने माता-पिता, साथियों एवं करीबी रिश्तेदारों की तरफ से आने वाले सामाजिक दबाव के अलावा, अपनी दैनिक जीविका के लिए वित्तीय आवश्यकता का प्रबंध करना, उनकी प्राथमिक चुनौतियों में से एक है। उनमें से कुछ, कई बार, भाग्यशाली होते हैं जो उन्हें अपने दोस्तों या परिवार से समर्थन प्राप्त होता है, जबकि अन्य अंततः थक जाते हैं और अपने प्रयासों को बीच में छोड़कर अपने नियमित व सामान्य करियर विकल्पों पर वापस चले जाते हैं।

दिशा परिवर्तन फैलोशिप ऐसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन करने की एक पहल है ताकि वे अपने शुरुआती वर्षों में अपना काम जारी रख सकें और एक ऐसे स्तर तक पहुँच सकें जहाँ वे इसे स्वयं से बनाए रखें। फेलोशिप का उद्देश्य उन सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन करना है जो वर्तमान में भारतीय समाज के आर्थिक या सामाजिक रूप से वंचित वर्ग, जो देश के स्लम, ग्रामीण या आदिवासी क्षेत्रों में कहीं भी रहते हैं, के लाभ के लिए काम कर रहे हैं।

फेलोशिप का वर्तमान उद्देश्य दो सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहचान करना और उन्हें 2 साल (आवश्यकता और प्रतिबद्धता के आधार पर +1 वर्ष) की अवधि के लिए उनके दैनिक व्यक्तिगत गुजारे के लिए 10,000 रुपये की मासिक सहायता प्रदान करना है। यह फेलोशिप इस समझ के साथ दी जाएगी कि जब कार्यकर्ता अपने उपक्रम पर पूर्ण रूप से काम करना जारी रखेंगे,  तो वे फेलोशिप के बाद भी अपने प्रयासों को बनाए रखने के लिए एक प्रैक्टिकल तरीका खोजने में सक्षम होंगे।

दिशा परिवर्तन फेलो के रूप में कौन आवेदन करने के योग्य है 

कोई भी सामाजिक कार्यकर्ता, जो वर्तमान में भारतीय समाज के आर्थिक या सामाजिक रूप से वंचित वर्ग, जो देश के किसी भी इलाके, ग्रामीण या आदिवासी इलाकों में रहता है, के लाभ के लिए काम कर रहा है, और वे :
1) जो कम से कम एक वर्ष के लिए पूर्णकालिक रूप से अपनी वर्तमान सामाजिक उपक्रम में लगे हुए हैं। सामाजिक उपक्रम आवेदक का अपना एक मूल अथवा वास्तविक विचार होना चाहिए और गैर-लाभकारी होना चाहिए।
2) जो फेलोशिप की पूरी अवधि के लिए अपनी सामाजिक उपक्रम में पूर्णकालिक काम करने को तैयार हैं।
3) जो एक स्वस्थ मूल्य प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कल्पना करते हैं, जिससे करुणा, सामाजिक और आर्थिक समानता, न्याय, धर्मनिरपेक्षता, सहयोग इत्यादि को बढ़ावा मिलता है।
4) जो इस बात का विवरण देने में सक्षम है कि आवेदन करने के समय वह किस तरह से अपना खर्चा चला रहा है।
5) जो एक वास्तविक योजना प्रदान करने में सक्षम है कि वह कैसे काम जारी रखने के लिए, फेलोशिप के अंत में आत्मनिर्भर बनेगा/बनेगी।
6) जिनकी उम्र 22 वर्ष या उससे अधिक है (31 मार्च, 1998 को या उससे पहले जन्मे)

जिन सामाजिक कार्यकर्ताओ ने अपने उपक्रम के लिए अपनी संस्था को पंजीकृत किया है, उन्हें फेलोशिप के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। फेलोशिप के लिए आवेदन करने के समय, जिन लोगों ने अपनी संस्था पंजीकृत नहीं की है, हमारी टीम या तो उन्हें पंजीकरण करने के लिए कहेगी या पंजीकरण दर्ज न करने के लिए उनके कारणों को समझने की कोशिश करेगी, अगर उनके पास इसके लिए कोई वैचारिक कारण हैं । यदि टीम उल्लिखित वैचारिक कारणों को संतोषजनक पाती है, तो वह फेलोशिप के लिए आवेदन पर विचार करेगी।

दिशा परिवर्तन फेलो के रूप में कौन आवेदन करने के योग्य नहीं है

 - मौजूदा पुरानी संस्था की कोई नई परियोजना
 - धार्मिक उपक्रम
 - अनुसंधान अध्ययन
 - वकालत / पैरवी पहल
 - अन्य समरूप फैलोशिप के प्राप्तकर्ता

चयन प्रक्रिया

चरण 1: एप्लीकेशन फॉर्म स्क्रीनिंग
चरण 2: टेलिफोन पर साक्षात्कार
चरण 3: उपक्रम की वास्तविकता को समझने के लिए फील्ड विजिट

समयसीमाएं

आवेदन की अंतिम तिथि: 31 दिसंबर, 2019
चयन प्रक्रिया: 1 जनवरी, 2020 - 31 मार्च, 2020
फैलोशिप अवधि: अप्रैल 2020 - मार्च 2022 (2 वर्ष)
1-वर्ष के विस्तार के लिए विचार: मार्च 2022
विस्तारित फैलोशिप अवधि: अप्रैल 2022 - मार्च 2023 (1 वर्ष)

निगरानी / जांच (Monitoring)

फेलोशिप के दौरान, फेलो को अपनी गतिविधियों की मासिक रिपोर्ट एक बहुत ही सरल प्रारूप में प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें कि, की गई गतिविधियों की सूची, गतिविधि का उद्देश्य, संक्षिप्त विवरण, लाभान्वित हुए लोगों की संख्या / प्रोफ़ाइल, परिणाम इत्यादि का वर्णन होगा। इसके अतिरिक्त, हमारी संचालन टीम फोन पर फेलो (कम से कम एक फोन कॉल प्रति तिमाही) के संपर्क में रहेगी और वर्ष में कम से कम एक बार उनसे ऑन-फील्ड भी मुलाकात करेगी। 

अहस्तक्षेप नीति: फेलोशिप के दौरान, दो/ तीन वर्षों के लिए, हमारी भूमिका 10,000 रुपये प्रति माह प्रदान करके आर्थिक रूप से फेलो का समर्थन करने की होगी। इसके अतिरिक्त, फेलो की रूचि के आधार पर आगे की क्षमता-निर्माण या आत्म-विकास के लिए फेलोज़ को प्रोत्साहित या आमंत्रित भी कर सकते हैं, या तो स्वयं से एक कार्यशाला का आयोजन करके या विशिष्ट विषयों पर कुछ अन्य संगठनों द्वारा आयोजित कार्यशाला की सलाह दे सकते हैं। क्षमता-निर्माण या आत्म-विकास का यह पहलू, फेलोज़ के लाभ के लिए बिल्कुल वैकल्पिक होगा;  हमारी टीम इसे किसी भी तरह से फेलोज़ पर थोपने की कोशिश नहीं करेगी। हमारी टीम फेलोज़ के काम में हस्तक्षेप करने की भी कोशिश नहीं करेगी; हम केवल अपने गैर-वित्तीय समर्थन को सुझवित करेंगे (जब भी कभी हम से इसकी मांग की जाएगी), परंतु हम इसे थोपेंगे या अनिवार्य नहीं करेंगे। हालांकि, हमारी टीम किसी भी समय सलाह या मार्गदर्शन प्रदान कर सकती है।

निकास नीति

यदि हमारी टीम, अपने मूल्यांकन के दौरान, यह देखती है कि फेलोज़ अब फेलोशिप के लिए अनिवार्य पूर्व-आवश्यकताओं/शर्तों को पूरा नहीं कर रहा है, जो कि हैं : 1) पूर्णकालिक रूप से उपक्रम में शामिल रहना 2) गैर-लाभकारी उपक्रम के माध्यम से समाज के आर्थिक या सामाजिक रूप से वंचित वर्ग के लाभ के लिए काम करना 3) एक स्वस्थ मूल्य प्रणाली को बढ़ावा देना 4) संस्था को पंजीकृत कराना यदि उसकी सलाह दी जाती है,  इत्यादि; तो हमारी टीम फेलोज़ को एक महीने की नोटिस अवधि देने के बाद फेलोशिप को बंद करने का विकल्प चुन सकती है। फेलोज़ को पूर्व-अपेक्षाओं का पालन न करने के लिए उसके कारणों को साझा करने का अवसर दिया जाएगा।

अधिक जानकारी

- फैलोशिप के दौरान सभी वित्तीय लेनदेन, बैंक खातों के माध्यम से किए जाएंगे।
- सभी कानूनी कार्यवाही हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आएगी।

टीम

राजू चंदर और वैजयंती चंदर

Picture
Picture
राजू चंदर और वैजयंती चंदर दोनों इंजीनियर हैं और उन्होंने इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च, कलपक्कम, तमिलनाडु में वैज्ञानिक के रूप में 16 से भी अधिक वर्षों तक काम किया है। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने फास्ट ब्रीडर परमाणु रिएक्टरों के अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में काम किया। अपने पेशेवर काम के साथ साथ, वे सक्रिय रूप से पड़ोसी गांवों से जुड़े हुए थे। उन्होंने और उनके दोस्तों ने ग्रामीणों को शिक्षा, चिकित्सा सुविधा आदि प्रदान करके उनका समर्थन किया। उन्होंने अछूतों और उत्पीड़ित महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी और स्थानीय लोगों को बहु करोड़ परमाणु प्रतिष्ठान में रोजगार देने के लिए बड़े संघर्ष किए। 

1996 में, वे दोनों अपने परिवार के साथ कनाडा चले गए।  तब से श्री राजू एक कनाडाई परमाणु ऊर्जा संयंत्र में काम कर रहे हैं और सुश्री वैजयंती संचार उद्योग में संचार सॉफ्टवेयर्स का विकास कर रही हैं। 

वे दोनों पेशेवर इंजीनियर ओंटारियो (PEO) में भी बहुत सक्रिय हैं, जो समिति सभी इंजीनियरों को लाइसेंस जारी करता है।  वे लाइसेंस जारी करने के लिए इंजीनियर के अनुभव का आकलन करने के लिए PEO में स्वयंसेवक भी हैं। PEO के माध्यम से, श्री राजू और उनकी टीम ने स्कूली बच्चों को कई शैक्षिक अवसरों की व्यवस्था की।  उनकी स्वयंसेवक गतिविधियों के लिए उन्हें 5 वर्ष, 10 वर्ष और 15 वर्ष की सेवा के लिए ओन्टारियो स्वयंसेवक सेवा पुरस्कार प्रदान किया गया। सुश्री वैजयंती ने भी स्वयंसेवक भाव से एक सामुदायिक संगठन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में काम किया। सामुदायिक संगठनों में उनकी स्वयंसेवी गतिविधियों के लिए, उन्हें 10 साल की सेवा के लिए, ओन्टारियो स्वयंसेवक सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

आशीष कुमार

Picture
आशीष ने 2009 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), रुड़की से स्नातक किया। शिक्षा के बाद, उन्होंने ग्रामीण समुदायों के साथ काम करने के अपने जुनून पर आगे बढ़ने से पहले , कुछ वर्षों तक अपने कॉर्पोरेट कैरियर में काम किया। तब से, आशीष गुजरात और हिमाचल प्रदेश के गांवों में रहते हैं और शिक्षा और आजीविका क्षेत्र से संबंधित कई ग्रामीण परियोजनाओं के लिए काम करते हैं। 2013 में सहज फाउंडेशन की स्थापना करने से पहले, उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी के साथ उनके 'सेंटर फॉर इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज इन हिमालयन रीजन’ की स्थापना करवाने में भी काम किया। 

वर्तमान में, आशीष हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बीर गांव में एक सरल और शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं।  उन्होंने अपनी सेवा के प्राथमिक माध्यम के रूप में शिक्षा को चुना है, जबकि वह अपनी जीवन शैली को सरल बनाने और समाज को यथासंभव लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जैविक खेती और समग्र उपचार पर अधिक काम करते हैं। 

अधिक जानकारी के लिए आशीष कुमार को [email protected] पर लिखें या उन्हें +91 88948 93083 पर कॉल करें।
Copyleft @ Sahaj Foundation 2025
  • Home
  • Rural Immersion
    • प्रश्न विकास का- A Dialogue on Rural Development! >
      • PVK Dialogue सफ़र
    • आओ गांव को जाने!
    • Local Community Projects
  • Retreats
    • Cultivating Emotional Balance >
      • Feedback Form for CEB
    • Weekend Morning Intensive
    • Head2Heart Retreat >
      • Previous H2H Retreats
    • Peaceful Living Retreat >
      • Previous PL Retreats
      • 'Dealing with Negative Emotions' Retreat >
        • Previous DNE Retreats
    • One-on-one Conversations
  • Org Transformation
  • SahajGifts
  • Team